Top 10 Sher Of Parveen Shakir: इनकी पहली रचना ‘खूशबू’ साल 1977 में प्रकाशित हुई थी जिसकी प्रस्तावना में उन्होंने लिखा था- ” जब हौलै से चलती हुई हवा ने फूल को चूमा तो खूशबू पैदा हुई.” परवीन शाकिर की ग़ज़लों और नज़्मों को बारीकी से अध्ययन करने पर पता चलता है कि जैसे ये आत्मकथा है जो गज़लों और नज़्मों के रूप में पिरोई गई है.
परवीन शाकिर ने प्रेम विवाह किया था लेकिन इनका रिश्ता तलाक के दहलीज़ पर आकार बिखर गया. इनके पति का नाम सैयद नासिर अली था. इनका एक बेटा भी है सैयद मुराद अली.
परवीन शाकिर बहुत ही कम उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया. 26 दिसंबर 1994 को महज़ 42 साल की उम्र में इस्लामाबाद पाकिस्तान में इनका इंतकाल हो गया. जब ये 26 दिसंबर को कार से अपने दफ्तर जा रही थी तभी एक ट्रैक ने इन्हें टक्कर मार दी और मौके पर ही इनकी मौत हो गई. इस सड़क का नाम बाद में इन्हीं के नाम पर रखा गया.
वैसे तो परवीन शाकिर ने कई सारी नज़्मों और ग़ज़लों को लिखा है. लेकिन परवीन शाकिर के 10 चुनिंदा शेर(Top 10 Sher Of Parveen Shakir) इस प्रकार से हैं……
मैं सच कहूंगी मगर हार जाऊंगी
वो झूठ बोलेगा और ला-जवाब कर देगा
वो न आएगा हमें मालूम था इस शाम भी
इंतज़ार उसका मगर कुछ सोच कर करते रहे
कैसे कह दूं कि मुझे छोड़ दिया है उसने
बात तो सच है मगर बात है रुस्वाई की…….Top 10 Sher Of Parveen Shakir
अब तो इस राह से वो शख़्स गुज़रता भी नहीं
अब किस उम्मीद से दरवाज़े से झाँके कोई
हम तो समझे थे कि इक ज़ख़्म है भर जाएगा
क्या ख़बर थी कि रग-ए-जां में उतर जाएगा
वो मुझ को छोड़कर जिस आदमी के पास गया
बराबरी का भी होता तो सब्र आ जाता
यूं बिछड़ना भी बहुत आसां न था उससे मगर
जाते जाते उसका वो मुड़कर दोबारा देखना
कांप उठती हूं मैं ये सोचकर तन्हाई में
मेरे चेहरे पर तिरा नाम न पढ़ ले कोई
उस के यूं तर्क-ए-मोहब्बत का सबब होगा कोई
जी नहीं ये मानता वो बेवफ़ा पहले से था
अपनी रुस्वाई तिरे नाम का चर्चा देखूँ
इक ज़रा शेर कहूँ और मैं क्या क्या देखूँ…..Top 10 Sher Of Parveen Shakir
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